डॉ. भगवती शरण मिश्र, एक अतुलनीय लेखक

भारतीय विचार और संस्कृति का पुनराविष्कार

डॉ. भगवती शरण मिश्र के जीवन और कृतित्व को समर्पित इस आधिकारिक वेबसाइट में आपका स्वागत है, जो हिंदी साहित्य के सबसे प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों में से एक हैं। हिंदी साहित्य की हृदयस्थली में जन्मे डॉ. मिश्रा ने अपने योगदान से साहित्य की दुनिया में अमिट छाप छोड़ी है, अपनी गहरी अंतर्दृष्टि और सजीव कथानक के साथ साहित्य को समृद्ध किया है।

डॉ. मिश्रा के कार्य मानवीय भावनाओं, समाजिक जटिलताओं, और भारत की सांस्कृतिक बारीकियों की उनकी गहरी समझ के प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। क्लासिक और आधुनिक साहित्य के बीच की खाई को पाटते हुए, उनकी लेखनी में एक अनन्त कालिक आकर्षण है, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी पाठकों को मोहित करता है।

इस वेबसाइट के माध्यम से, हम पाठकों, विद्वानों, और उत्साही जनों को डॉ. मिश्रा की असाधारण साहित्यिक यात्रा का पता लगाने के लिए एक व्यापक संसाधन प्रदान करना चाहते हैं। यहाँ आपको उनके जीवन, प्रकाशित कृतियों, और उनकी लेखनी के महत्वपूर्ण विश्लेषणों के बारे में विस्तृत जानकारी मिलेगी। चाहे आप उनके कामों में गहराई से उतरने के इच्छुक एक उत्साही प्रशंसक हों या पहली बार डॉ. मिश्रा के साहित्य की खोज कर रहे हों, यह वेबसाइट डॉ. भगवती शरण मिश्र की प्रतिभा को समझने का आपका द्वार है।

हमारे साथ जुड़ें क्योंकि हम एक किंवदंती की विरासत का जश्न मनाते हैं जिसने हमेशा के लिए हिंदी साहित्य की परिदृश्य को बदल दिया है।'

भगवतीशरण मिश्र

अनेक पुरस्कारों एवं सम्मानों से सम्मानित प्रतिष्ठित उपन्यासकार जो अपने लेखन की विपुलता एवं गुणवत्ता से उपन्यास-लेखकों की अग्रिम पंक्ति में अपना स्थान सुरक्षित कर चुके हैं। उपन्यासों के अलावा अन्य महत्त्वपूर्ण लेखल। अब तक 75 से अधिक कृतियाँ प्रकाशित।

प्रमुख पुस्तकें

पहला सूरज (पुरस्कृत), पवनपुत्र (पुरस्कृत), प्रथम पुरुष (पुरस्कृत), पुरुषोत्तम (पुरस्कृत), पीतांबरा (पुरस्कृत), काके लागूं पांव, गोबिन्द गाथा (पुरस्कृत), मैं भीष्म बोल रहा हूँ, देख कबीरा रोया,पद्मनेत्रा (पुरस्कृत), भारत के राष्ट्रपति, भारत के प्रधानमंत्री तथा अन्य पुस्तकें।

देश के प्रायः सभी विश्वविद्यालयों में इनकी कृतियों पर पी-एच. डी., एम.फिल, डी. लिट्‌. के लिए शोध।

अंग्रेज़ी, संस्कृत, बंगला, हिन्दी आदि के विद्वान। कई कृतियों का अन्य भाषाओं में अनुवाद

हिंदी की सर्वकालिक 100 सर्वश्रेष्ठ पुस्तकों में से एक: 'पीताम्बरा', मीराबाई, भारत की पहली नारीवादी विद्रोही के जीवन पर आधारित एक पुस्तक

मीरा के जीवन पर आधारित लेखक द्वारा अपनी विशिष्ट शैली में रचित एक अत्यन्त रोचक एवं प्रामाणिक उपन्यास जो आधुनिक जीवन बोध के संदर्भ में भी इस संत कवयित्री की प्रासंगिकता को गहराई से रेखांकित करता है।लेखक के अनुसार मीरा मात्र श्री कृष्णोपासिका नहीं थी अपितु वह एक निर्भीक समाज सुधारिका भी थी जिसने आज से प्रायः पांच सौ वर्ष पूर्व ही नारी जागरण का प्रथम शंख नाद किया था।सती प्रथा के सदृश सड़ी-गली सामाजिक कुरीतियों को दृढ़ता से नकारनेवाली कृष्णप्रिया मीरा विश्व की उन कुछेक नारियों में है जो काल की शिला पर अपने अमिट हस्ताक्षर छोड़ जाने में सफल हुई है।इस ऐतिहासिक औपन्यासिक कृति में मीरा सम्बन्धी विविध भ्रान्तियों को सफलतापूर्वक निरस्त कर तथा उसके जीवन से जुड़े चमत्कारों को विश्वसनीय रूप में रखने का प्रयास कर लेखक ने मीरा के व्यक्तित्व और कृत्तित्व को आधुनिक पाठकों के अत्याधिक समीप लाने का स्तुत्य प्रयास किया है।यह उपन्यास मीरा के जीवन के विविध रूपों और आयामों को अत्यन्त रोचकता से चित्रित करता है। कृष्णदीवानी मीरा पर आधारित यह उपन्यास प्रचलित भ्रान्तियों का निवारण करने के साथ-साथ महत्त्वपूर्ण तथ्यों का विवरण प्रस्तुत करता है। उपन्यास में जो कुछ लिखा गया है वह इतिहास ही है जिसमें चरित्रों एवं घटनाओं को यथासम्भव सही परिप्रेक्ष्य में रखा गया है।

 

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